पांचवी में तीन बार फेल होकर मूर्तिकारी में हुए पास


मूर्तियों पर रंग उकेरते मूर्तिकार

जशपुरनगर। गुरुभक्ति में एकलव्य का नाम अमर हैं। उनकी गुरुभक्ति संसार के लिए प्रेरणा दायक हैं। जिनसे कई सीख मिलते हैं। उनसे प्रभावित होकर बिगलु प्रसाद गुप्ता ने भी एकलव्य की तरह छुपकर ज्ञान प्राप्ति की । बिजली टोली के बिगलु प्रसाद गुप्ता ने बताया उनको बचपन से कुछ अलग करने की चाहत थीं। पांचवी में तीन बार असफल हुए तो पढ़ाई छोड़ दी। 50 साल पूर्व जशपुरनगर में मूर्तिं निर्माण के लिए बाजारडांढ़ में कलकत्ता के मूर्तिकार आए थें। वह मांग के हिसाब से गणेश ,दुर्गा ,सरस्वती की मूर्ति बना रहें थे। इस बीच बिगलु मूर्तिकार के यहां पहुंचे। जब उन्हें सीखने की इच्छा जाहिर की तो डांट कर भगा दिए गए। उस समय उनकी उम्र महज 10 साल था। जब मूर्तिकार मूर्तियों का निर्माण करते थे । तो बिगलु छुपकर एकलव्य की तरह शिक्षा ग्रहण करते थें। और घर में जाकर मूर्ति निर्माण का अभ्यास करतें रहें। ऐसा उन्होंने साल भर तक किया। फिर मूर्ति निर्माण करना शुरू कर दिया।उनकी बिक्री भी अच्छी खासी होने लगीं। उनके हुनर से कलकत्ता के मूर्तिकारों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। तभी से लेकर अभी तक बिगलु प्रसाद गुप्ता मूर्ति निर्माण कर रहें हैं। उनकी सफलता के पीछे पुत्र विजय गुप्ता,अजय गुप्ता भाई रामअवतार गुप्ता रामदेव गुप्ता का विशेष योगदान रहा हैं ।

गुरु दक्षिणा में दी मिट्टी की मूर्तियां

जब कलकता के मूर्तिकार उनकी दुकान में गए तो उन्होंने बिगलू से पूछा हमारी तरह मूर्तियां बनाते हो कहा से बनाने सींखा। जवाब में बिगलु ने कहा गुरुजी आपसे यह सुनकर बंगाल के मूर्तिकार दंग रह गए। जवाब में उन्होंने कहा मैंने तुम्हें मूर्तियों का निर्माण नही सिखाया हैं। तभी उन्होंने बताया कि जब मैं मूर्तिकारी सीखने गया था। तभी आपने मुझे भगा दिया। सीखने का जूनन था । जब आप मूर्तियां बनाते थे तो मैं छुपके देखता था। और घर में जाकर मूर्तियां बनाने में अभ्यास करता था। वृतांत सुनकर बंगाल के कलाकार के आंखे भर आईं। उन्होंने बिगलु की मूर्तियों की तारीफ करते हुए आशीर्वाद दिया । बिगलु ने गुरु दक्षिणा में बंगाली मूर्तिकार को मिट्टी की मूर्तियां दी।

मूर्ति निर्माण में शुध्द मिट्टी का करते हैं उपयोग

मूर्ति निर्माण की तैयारी अगस्त से ही शुरू हो जाता हैं। मूर्तिकार मूर्ति निर्माण शुद्व जगह के मिट्टियों को लेकर आते हैं। उस जगह को गोबर से लीपी जाती हैं। फिर विधिविधान से पूर्व पूजन अर्चना करते हैं। वहीं मिट्टियों के साथ पोवाल का उपयोग कर मूर्तियों का निर्माण करतें हैं। जिसकी रंगाई बेहद खास तरीके से करते हैं। एक मूर्ति बनाने में तीन घंटे लगते है। बिगलु प्रसाद गुप्ता जशपुर के पहले मूर्तिकार हैं। उन्होंने अब तक लाखों मूर्तियां बनाई हैं। इस बार लछमी गुंडी मंदिर के पास दुकान लगाई गई हैं। जिसमें 500 से लेकर 5500 तक कि एक से बढ़कर एक मूर्तियां हैं।

प्लास्टर ऑफ पेरिस से नुकसान

शासन ने मूर्तियों में प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार अलग-अलग मूर्तियों की स्थापना की जाती हैं। समय होने पर उनका विसर्जन होता हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस पानी में आसानी से नहीं घुलते हैं। जिससे पानी और वहां रहने वाले जीवों को नुकसान हो सकता हैं। इसलिए प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग नही करना चाहिए । बिगलु प्रसाद गुप्ता ने मूर्तियों में शुरू से विशेष रंगों का इस्तेमाल किया हैं। इसी वजह से छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशों में उनकी मूर्तियों को पसंद किया जाता हैं। त्यौहारी के हिसाब से वह मूर्तियों का निर्माण करते हैं। मांग पर वह छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड में मूर्तियां भेजतें हैं।

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