रायपुर। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद शंकर नगर रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ी और स्थानीय भाषाओं पर पाठ्यक्रम निर्माण का एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुआ। कक्ष क्रमांक 212 में छत्तीसगढ़ी पाठ्यपुस्तक निर्माण हेतु आवश्यक दिशानिर्देश की जानकारी दिया गया। छत्तीसगढ़ी (रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर संभाग) सरगुजिहा, गोंडी (कांकेर) गोंडी (दंतेवाड़ा), गोड़ी (बस्तर), सादरी, कुड़ुख, हल्बी भाषाओं पर पाठ्यक्रम निर्माण का सूत्रपात हुआ। छत्तीसगढ़ी भाषा पाठ्यपुस्तक निर्माण में भाटापारा से शिक्षक कन्हैया साहू, राजिम से श्रवण कुमार साहू, धमतरी से भोलाराम सिन्हा, गरियाबंद से षडानंद सरवांकर, डॉ. ललित साहू, नीलकंठ साहू, रागिनी मेहरा आदि ने रायपुर संभाग की ओर से अपनी सहभागिता निभाई। 15 अगस्त को मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में अनिवार्य घोषणा के बाद इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसकी सफलता के लिए छत्तीसगढ़ के सभी पाँच संभागों से लगभग 60 शिक्षक,शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही। इनमे प्रमुख रूप से द्रोण सार्वा, ईश्वर साहू, शीतल बैस, रामेश्वर भगत, विजय दमाली, अलबिना एक्का , रामकुमार वर्मा रहे। कक्षा पहली से पाँचवी के लिए बाल केन्द्रित कक्षा अनुरूप मौलिक सामग्रियों का संकलन का कार्य उपस्थित सभी शिक्षकों को सौंपा गया। स्थानीय भाषाओं में बाल साहिच्य, कला, संस्कृति, लोककथा, परंपरागत खानपान, तीज-त्यौहार, वाचिक एवं लिखित साहित्य इत्यादि जो कक्षा अनुसार हो, संकलन करने का कार्य प्रारंभ किया गया।
इस कार्यक्रम में राजेश सिंह राणा संचालक, उपसंचालक पुष्पा किस्पोट्टा, बहुभाषा प्रभारी डिकेश्वर वर्मा, सीमा श्रीवास्तव मेडम, जयाभारती चंद्राकर, संजय राठौड़ जी की भूमिका मुख्य रही।इस एक दिवसीय कार्यशाला में अलग-अलग भाषाओं का अलग समूह बनाकर पाठ्यक्रम का खाका खींचने का पूर्वाभ्यास किया गया। आज के प्रस्तुत कार्यों की समीक्षा पश्चात विस्तृत कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न करने के दिशानिर्देश के साथ कार्यशाला संपन्न हुआ।
राजिम- नवापारा–छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम निर्माण हेतु कार्यशाला का आयोजन एस सी ई आर टी रायपुर में हुआ,,
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद शंकर नगर रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ी और स्थानीय भाषाओं पर पाठ्यक्रम निर्माण का एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुआ। कक्ष क्रमांक 212 में छत्तीसगढ़ी पाठ्यपुस्तक निर्माण हेतु आवश्यक दिशानिर्देश की जानकारी दिया गया। छत्तीसगढ़ी (रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर संभाग) सरगुजिहा, गोंडी (कांकेर) गोंडी (दंतेवाड़ा), गोड़ी (बस्तर), सादरी, कुड़ुख, हल्बी भाषाओं पर पाठ्यक्रम निर्माण का सूत्रपात हुआ। छत्तीसगढ़ी भाषा पाठ्यपुस्तक निर्माण में भाटापारा से शिक्षक कन्हैया साहू, राजिम से श्रवण कुमार साहू, धमतरी से भोलाराम सिन्हा, गरियाबंद से षडानंद सरवांकर, डॉ. ललित साहू, नीलकंठ साहू, रागिनी मेहरा आदि ने रायपुर संभाग की ओर से अपनी सहभागिता निभाई। 15 अगस्त को मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में अनिवार्य घोषणा के बाद इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसकी सफलता के लिए छत्तीसगढ़ के सभी पाँच संभागों से लगभग 60 शिक्षक,शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही। इनमे प्रमुख रूप से द्रोण सार्वा, ईश्वर साहू, शीतल बैस, रामेश्वर भगत, विजय दमाली, अलबिना एक्का , रामकुमार वर्मा रहे। कक्षा पहली से पाँचवी के लिए बाल केन्द्रित कक्षा अनुरूप मौलिक सामग्रियों का संकलन का कार्य उपस्थित सभी शिक्षकों को सौंपा गया। स्थानीय भाषाओं में बाल साहिच्य, कला, संस्कृति, लोककथा, परंपरागत खानपान, तीज-त्यौहार, वाचिक एवं लिखित साहित्य इत्यादि जो कक्षा अनुसार हो, संकलन करने का कार्य प्रारंभ किया गया।
इस कार्यक्रम में राजेश सिंह राणा संचालक, उपसंचालक पुष्पा किस्पोट्टा, बहुभाषा प्रभारी डिकेश्वर वर्मा, सीमा श्रीवास्तव मेडम, जयाभारती चंद्राकर, संजय राठौड़ जी की भूमिका मुख्य रही।इस एक दिवसीय कार्यशाला में अलग-अलग भाषाओं का अलग समूह बनाकर पाठ्यक्रम का खाका खींचने का पूर्वाभ्यास किया गया। आज के प्रस्तुत कार्यों की समीक्षा पश्चात विस्तृत कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न करने के दिशानिर्देश के साथ कार्यशाला संपन्न हुआ।