रायपुर (News27) 01.04.2024 । यह नियति का संकेत है कि दक्षिण अफ्रीका की राजधानी का एक बहुत बड़ा शहर केपटाउन पूरी तरह से दुनिया का पहला जलविहीन शहर घोषित कर दिया गया। केपटाउन में दिन भर के लिए शासन 25 लीटर्स पानी उपलब्ध कराती है, वहां नहाने पर बैन है। यह खबर आज की नहीं बल्कि 14 अप्रैल 2023 से ही वहां की सरकार ने पानी की आपूर्ति करने में अपनी असमर्थता जाहिर कर दी है। वर्तमान में केपटाउन की क्या दशा होगी इसका बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। पानी की लूट होने की संभावनाओं पर पुलिस व सेना के लोग तैनात रहते है। केपटाउन में पानी डीजल-पेट्रोल से ज्यादा से कीमती है।
कहने का अर्थ है कि पानी की बर्बादी को लेकर अब हमें सजग होने की आवश्यकता है। भीषण गर्मी का प्रकोप सिर पर है। हमने रेल माध्यम से लातूर, अकोला महराष्ट्र को पानी भेजते हुए देखा है। राजस्थान में कई कि.मी. दूर से पानी लाने वाले पनिहारिनों के बारे में जानते हैं, विश्व में 2.7 प्रतिशत जल ही पीने योग्य होने के अध्ययन के बाद भी यदि हम पानी बचाने सामाजिक आंदोलनों को बढ़ावा नहीं देते हैं तो निश्चित ही यह समस्या विकराल रूप ले सकती है। गौरतलब है कि नदियों का देश कहलाने वाला भारत में कई नदियां सूख गए हैं, कई नदी, झील, ताल-तलैया अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है। ऐसे में एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पानी की बर्बादी को रोककर हमें पानी की बचत करने व्यापक जागरूकता लाने की जरूरत है।
हमें रोज कार, बाईक, या अपने घरों के फर्श,छत नहीं धोना चाहिए, या सीमित पानी का उपयोग करना चाहिए।
बेसिन, बाॅथरूप, पीने का पानी वाला नल चालू ना रखें। बर्तन धोने व कपड़ें धोने में कम पानी का उपयोग करें। नल खोलकर नहाने के बजाय बुकेट में पानी लेकर नहाये ताकि पानी बच सके।
घरेलू जल साधन को सुधरवाये ताकि पानी जाया ना हो। पौधों में यूज्ड पानी को शाम को सूरज ढलने के बाद डाले। विभिन्न अन्य साधन से भी पानी बचाने का स्वयं प्रयास करें एवं दूसरों को जागरूक करें । जीवों को पानी उपलब्ध कराने का नेक कार्य करें।
मेरे एक बकेट पानी बचा लेने से क्या होगा? इस विचार को त्याग दें, तपती गर्मी में कुछ घण्टें बिना पानी गुजारे, पानी की कीमत का अहसास खुद ब खुद हो जाएगा। सवाल बूंद-बंूद का है, मत भूले कि यदि किसी ने कहा कि दुनिया में यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो वह जल के लिए होगा, चिंतन करें कि कहने वाले ने यह वाक्य यूं ही नहीं कह दिया होगा।
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