दुर्गुकोंदल:हलषष्ठी का व्रत पुत्र की रक्षा करने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है

by।शिवचरण सिन्हा

दुर्गुकोंदल।हलषष्ठी का व्रत पुत्र की रक्षा करने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। क्षेत्र की माताएं व नवविवाहिता के द्वारा इस शुभ दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ‘हलषष्ठी’ व्रत रखा गया। इस बार यह व्रत 17 अगस्त दिन बुधवार को मनाया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस दिन विधि विधान से पूजा करने से पुत्र पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इस पर्व को हलछठ के अलावा कुछ पूर्वी भारत में ललई छठ के रुप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के अवतार में जन्म लिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पूजन सभी पुत्रवती महिलाएं करती हैं। यह व्रत पुत्रों की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिटटी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं।इस दिन को हल षष्ठी, हरछठ या ललही छठ के रूप में भी मनाया जाता है। दुर्गुकोंदल आरईएस कॉलोनी व शिवमंदिर में आचार्यों के द्ववारा विधिपूर्वक पूजन कराया गया।जिसमें क्षेत्र की माताये श्रद्धा पूर्वक माता हलषष्ठी देवी की पूजन कर अपने संतान के दीर्घायु होने की मंगलकामना किये।साथ ही कोरोना मुक्त समाज के लिए भी प्रार्थना किये।उत्तरा वस्त्रकार, नीलम साहू,रीता वस्त्रकार,मंजूलता जैन,संगीता साहू कविता साहू,निर्मला नेताम जोहतरीन गौतम,नामितां रॉय ,अमरीका मडावी,खुशबू आदि ने दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम के समय में पसही का चावल और मुनगा की साग का सेवन किये। अपने संत8 की लंबी उम्र की प्रार्थना किये। नवविवाहित महिलाओ द्ववारा पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना किये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top