भारत में वैवाहिक संबंध है सात जन्मों का बंधन, महंगी शादियों से बचें, अपनायें वेडिंग इन इण्डिया को

  • सुभाष श्रीवास्तव

रायपुर (News27)24.02.2024 । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ समय पूर्व देश में हो रहे महंगी शादियों को लेकर देशवासियों को एक नया मंत्र दिया है- वेडिंग इन इण्डिया का मंत्र, यानी इण्डिया में शादी। उन्होंने कहा है कि अपने देश भारत में रहकर भी शादी क्यों नहीं हो सकती है । दरअसल प्रधानमंत्री जी कह रहे है कि विदेशों में जाकर महंगी शादियां करने से बेहतर देश में रहकर भी शादी किया जा सकता है। संभवत: मोदी जी भारतीयों द्वारा विदेशों में जाकर महंगी शादियां और विशेष यह कि वे महंगी शादियों से बचने को लेकर वे अपनी बात रखना चाह रहे हैं। शादी एक पवित्र बंधन है। भारत में इसकी खासा अहमियत है, हमारे देश में विवाह को सात जन्मों का बंधन कहा गया है। भले ही आज के एजुकेटेड वर्ग शादी को एक समझौता मानने का प्रयास करें, परन्तु वे अपने ही परिवार के माता-पिता या दादा-दादी, नाना-नानी के विवाह को देखेंगे तो आश्चर्य होगा कि उन्होंने भारतवर्ष के इसी पारम्पिरकता के अधीन होकर अपनी शादी को सात जन्मों का बंधन के रूप में ही निभाए हैं । जमाना नहीं बदलता, लोग बदलते हैं, फिर भी यदि आज के युवा शादी को एक समझौते के तौर पर देखते है तो यह स्पष्ट है कि वे अनजाने ही पश्चिम संस्क़ृति से प्रभावित हैं।

हाल ही में इन दिनों सोशल मीडिया में मध्यप्रदेश स्थित इंदौर में एक वर पक्ष की मांगों को लेकर काफी चर्चा है। दरअसल इंदौर में लड़के पक्ष द्वारा विवाह पूर्व अनोखी शर्त रख दी गई, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। इंदौर में वर पक्ष की मांगो से आश्चर्यचकित रह गये वधु पक्ष वाले। दरअसल यह मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि विवाह संपन्न कराने के तरिके को लेकर किया गया है । मांगें इस प्रकार से हैं- कोई प्री वैडिंग शूट नहीं होगा, दुल्हन शादी में लहंगे की बजाय साड़ी पहनेगी, मैरिज लॉन में ऊलजुलूल अश्लील कानफोड़ू संगीत की बजाय हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत बजेगा, वरमाला के समय केवल दूल्हा-दुल्हन ही स्टेज पर रहेंगे, वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा, पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर देने के बाद कोई, उन्हें रोके-टोकेगा नहीं, कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से लेगा न कि बार-बार पंडितजी को टोक कर..ये देवताओं का आह्वान करके उनके साक्ष्य में किया जा रहा विवाह समारोह है..ना की किसी फिल्म की शूटिंग, दूल्हा दुल्हन द्वारा कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे, विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो। जिससे किसी भी मेहमान को रात 12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े तथा इसके अतिरिक्त मेहमानों को अपने घर पहुंचने में मध्य रात्रि तक का समय ना लगे और असुविधा ना हो। खास यह कि लड़की वालों ने लड़के पक्ष की सभी मांगे मान ली गई।

निश्चित ही समाज सुधार करने वर्तमान के दिखावटी, अपनी धर्म और संस्कृति, परम्परा से दूर होते महंगी शादियों के इस दौर में यह सुझाव हम सभी के लिए अनुकरणीय है। जिसे हम सभी को अपनाने की जरूरत है। प्रबुद्धजन भारतीय संस्कार और पारम्परिकता की सीख युवाओं को देने आगे आये, ताकि वैदिक रीतियां अनुरूप विवाह संबंधों में शरीर से अधिक मन जुड़ सके। मंगलसूत्र की गांठें बोझिल ना लगते हुए सात जन्मों का बंधन निरूपित किया जा सके।

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