नवमीं के रात को देवी मंदिर में हवन और दिन में बालाजी मंदिर में पूजन

जशपुरनगर। नवरात्र के नवमीं दिन महामाउर का आयोजन सोमवार को काली मंदिर जशपुर में किया जा रहा हैं। जिसमें तांत्रिक विधि से पूजन करने हजारों लोग जुटेंगे। आचार्य रजक मिश्रा ने बताया कि अष्टमी और  नवमीं में संधि काल के समय विशेष संधिकाल की पूजा होती हैं। रात में देवी मंदिर में हवन और दिन में बालाजी मंदिर में पूजा होती हैं। महामाउर नवंमी के दिन रात्रि में हवन उपरांत पूर्णाहुति दिया जाएगा । उसके अगले दिन दशहरे को सबेरे कुंड विसर्जन किया जाता हैं। देवी एवं बालाजी मंदिर से खड़ग लेकर शोभा यात्रा के साथ रणजीता स्टेडियम में अपराजिता की पूजा होती हैं। शाम को रावण दहन होता हैं। रियासत कालीन से चले आ रहें रणजीता डांड से लौट कर बालाजी मंदिर में राजा के सेनाद्वारा राजा को सलामी दी जाती हैं।

नीलकंठ पक्षी उड़ाकर साल भर की भविष्यवाणी

मान्यता के अनुसार दशहरे में नीलकंठ पक्षी उड़ाना शुभ माना जाता हैं। इसलिए इस दिन पक्षी उड़ाया जाता हैं। जिस दिशा की तरफ पक्षी उड़कर जाता हैं। उससे साल भर की भविष्यवाणी की जाती हैं । यदि  नीलकंठ पक्षी पूर्व दिशा में जाए तो शुभ माना जाता हैं। उत्तर दिशा में जाय तो बारिश प्रबल होने की संभावना रहती है। अनाज बहुतायात में होता हैं। पश्चिम दिशा में जाए तो सम (बराबर ) माना जाता है। दक्षिण दिशा में अशुभ माना जाता है। 

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