नीलकंठ उड़ा पूर्व दिशा में इस साल फसल अच्छी होगी

जशपुर नगर। बस्तर के बाद जशपुर में छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक दशहरा देखने को मिलता है । राजशी परंपरा एवं जनजातीय संगम के बीच छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक जशपुरिया दशहरा महोत्सव में आचार संहिता का पालन करते हुए धूमधाम के साथ मनाया गया। दशहरा देखने के लिए हजारों की तादात में जशपुर के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड के लोग रणजीता स्टेडियम के रंजीत डांड में शामिल हुए । इस अवसर पर विभिन्न समितियों के द्वारा मां दुर्गा की झांकी निकाली गई। रणजीत स्टेडियम के नीचे के रैनीं डांड में 15 फिट का लंकापति रावण और उसके भाई कुंभकर्ण ,पुत्र मेघनाथ और ऊपर पचास फिट का रावण का पुतला बनाया गया । जो देखने में काफी आकर्षक लग रहा था। जिसे देखने लोग बारी – बारी से जा रहें थे। नीचे के रावण के दर्शन कर लोग उसमें भरे पोवाल की खींच कर ले रहे थे। चार बजे विधिवत पूजा अर्चना कर भगवान बालाजी को लकड़ी के रथ पर सवार किया गया। राज परिवार ,आचार्य ,राजबैंगा ,राज सेना ,सेनापति समेत स्थानीय लोग के अलावा बजनियां गाजे बाजे के साथ शोभा यात्रा में शामिल होकर रैनीं डांड पहुचें। रथ को खींचने में हजारों की भीड़ सहभागी बनी। इस दौरान रियासतकाल के अनुसार राज सेना और सेनापति पूर्ण गणवेश में शस्त्र के साथ थे। वर्तमान राजा पूर्व सांसद रणविजय सिंहदेव समेत राजपरिवार ने भीड़ को अभिवादन किया। राजा के सम्मान में प्रजा ने भी हाथ जोड़कर अभिवादन किया। इसके पश्चात शस्त्र शांति के लिए देवी अपराजिता की पूजा हुई । शाम को नाटकीय अंदाज में हनुमान के वेश पर दौड़कर गदा घूमते हुए रैनीं डांड में पंहुचकर रावण दहन आतिशबाजी के साथ किया गया। राजपरिवार ने नीलकंठ पक्षी छोड़ा । वह पूर्व दिशा की तरफ उड़ गया। राजपुरोहितों और राज बैगाओं ने साल भर की भविष्यवाणी की । जिसे शुभ माना जाता हैं इस साल अच्छी फसल होगी । रावण दहन से लौटकर परिजनों ने शमी वृक्ष की पत्ती दिया। साथ ही बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
राजा को सेना ने दी सलामी
रियासतकाल में राजा को उसकी सेना सलामी देती हैं। इसी परंपरा का पालन दशहरा में भी किया जाता हैं। आज रैनीं डांड से लौटकर राज सैनिकों एवं सेनापति राजा को सलामी दी।