छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवानों का प्रतिष्ठान गढ़कलेवा बंद

पारंपरिक पकवानों के लिए तरस रहें लोग

जशपुरनगर। शासन ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खान पान को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक जिले में लाखों रुपए खर्च कर गढ़कलेवा की शुरुआत की । ताकि लोग छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवानों का स्वाद चख सकें। जिसमें बस्तर से लेकर सरगुजा तक की कलाकृतियों को दीवारों में उकेरा गया हैं। वहां छत्तीसगढ़ की संस्कृति का नजारा देखने को मिलता हैं। इसी उदेश्य से जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेड के सामने गढ़कलेवा की शुरुआत की गई थीं। शासन ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए यह काम टेंडर के तहत महिला स्वसहायता समूह को दिया। जिसका संचालन महिला समूह कर रहीं थीं। शुरुआती दौर में ताम झाम होने के कारण गढ़कलेवा ग्राहक खूब आते थे। उनके मुताबिक खान पान भी मिलता था।कलेक्ट्रेड परिसर से पास होने के कारण तमाम ऑफिस के लोग गढ़कलेवा में चाय नास्ते के पधारते थे। शाम ढ़लते ही शहर की भीड़ कलेवा की ओर आती थीं। जिससे समूह की महिलाओं को अच्छी आमदनी होती थीं। बताया जा रहा समूह के अध्यक्ष के चले जाने के कुछ महीनों बाद गढ़कलेवा का टेंडर खत्म हो गया. फिर इसे बंद कर दरवाजे पर ताले जड़ दिया गया।

खुलने का इंतजार

चाय नास्ते के लिए ग्राहक गढ़कलेवा आते हैं लेकिन ताला बंद होने के कारण दूसरे होटलों में जा रहें हैं। लोगों को उम्मीद हैं जल्द गढ़कलेवा खुलेगा। यहां आयोजन के लिए जगह पर्याप्त जगह हैं। समय-समय पर लोग यहीं छत्तीसगढ़ी पाक-पकवानों का स्वाद लेने के लिए आते थे। टेंडर खत्म होने के बाद गढ़कलेवा को बंद कर दिया गया हैं। टेंडर जारी होने के बाद यह फिर से शुरू होगा. इधर लोगों को गढ़कलेवा खुलने का जल्द इंतजार हैं।

धूल फांक रहें समान

गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को दर्शाने के लिए तरह -तरह की कलाकारी की गई थीं। गढ़कलेवा बंद होने के कारण बैठेने के अलावा अन्य सामान धूल फांक रहें है।

टेंडर जारी हो गया हैं दो दिन के भीतर गढ़कलेवा खुल जायेगा

जितेन्द्र उपाध्याय वन मंडल अधिकारी जशपुर

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