• रायपुर–भिलाई के दो नाबालिग गिरफ्तार
• पाकिस्तान-लिंक्ड विदेशी हैंडलर से जुड़े साक्ष्य मिले
रायपुर।छत्तीसगढ़ की खुफिया व्यवस्था को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हाथ लगी है जब राज्य की एंटी टेररिज्म स्क्वाड ATS ने रायपुर और भिलाई के दो नाबालिगों द्वारा संचालित एक डिजिटल ISIS मॉड्यूल का खुलासा किया। यह मामला इसलिए भी विशेष है क्योंकि देश में पहली बार किसी आतंक गतिविधि से जुड़े मॉड्यूल का संचालन पूर्णत: नाबालिगों द्वारा सोशल मीडिया आधारित तंत्र के माध्यम से किया जा रहा पाया गया है। एटीएस के अनुसार यह मॉड्यूल पाकिस्तान स्थित डिजिटल नेटवर्क के संपर्क में था और इसका उद्देश्य ऑनलाइन कट्टरपंथ फैलाकर स्थानीय स्तर पर एक समूह तैयार करना था।
यह प्रयास अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंटेलिजेंस अमित कुमार के नेतृत्व में किया गया जबकि पूरी जांच का संचालन पुलिस अधीक्षक एटीएस राजश्री मिश्रा और उप पुलिस महानिरीक्षक इंटेलिजेंस अजातशत्रु बहादुर सिंह की टीम ने किया।
मामले का प्रमुख आरोपी 16 वर्षीय किशोर है जो मूल रूप से भिलाई का निवासी रहा है और पिछले दो वर्षों से रायपुर के टिकरापारा क्षेत्र में रह रहा है। वह एक सीबीएसई संबद्ध अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में पढ़ाई कर रहा था और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने की जानकारी मिली है। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया कि वह इंस्टाग्राम के माध्यम से पाकिस्तान-स्थित एक डिजिटल हैंडलर के संपर्क में आया जिसके माध्यम से उसे कट्टरपंथी सामग्री और संवेदनशील सूचनाएं जुटाने से जुड़ी गतिविधियों में प्रेरित किया जा रहा था। शुरुआत में प्राप्त संदेश धार्मिक संवाद के रूप में दिखाई देते थे परंतु आगे चलकर संदेशों में उग्र वीडियो, जिहादी साहित्य और संवेदनशील स्थानों का ब्यौरा जुटाने संबंधी निर्देश शामिल मिले।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी किशोर ने इंस्टाग्राम पर ISIS Raipur नामक समूह बनाया था जिसमें पहले करीब 46 सदस्य जुड़े थे और हस्तक्षेप के समय छह सदस्य सक्रिय पाए गए। इस समूह में नाबालिगों को सोशल मीडिया आमंत्रणों और निजी चैट के माध्यम से जोड़ा जाता था और समूह के भीतर कई बार किशोरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधित चैट क्लस्टरों में शिफ्ट किया जाता था। इन चैट रूम का उपयोग ऐसी गतिविधियों के लिए किया जाता था जिनका रिकॉर्ड पारंपरिक प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध न रह सके।
एटीएस को मॉड्यूल की जानकारी तब मिली जब हाई-टेक सॉफ्टवेयर से हजारों इंस्टाग्राम ID की स्क्रीनिंग के दौरान संदिग्ध डिजिटल गतिविधियां दर्ज की गईं। इन प्रोफाइलों से जुड़े व्यवहारिक पैटर्न और विदेशी स्रोतों से संचालित संवादों के विश्लेषण में उग्र सामग्री, गैर-मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध नफरत भड़काने वाले संदेश, कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बनाने से संबंधित कथन, संभावित हमलों के संकेत और हथियारों की उपलब्धता से जुड़े संदर्भ मिले। यह भी पाया गया कि पाकिस्तान आधारित हैंडलर नाबालिगों को त्योहारों के दौरान माहौल बिगाड़ने की दिशा में उकसा रहे थे।
इन इनपुटों के आधार पर एटीएस ने अपराध क्रमांक 01/25 दर्ज किया और कार्रवाई को Unlawful Activities Prevention Act UAPA के तहत आगे बढ़ाया। तलाशी के दौरान जब्त किए गए एक लैपटॉप और दो मोबाइल फोन से हटाई गई चैट, एन्क्रिप्टेड फोल्डर, क्लाउड स्टोरेज बैकअप, ऑडियो-वीडियो फाइलें और प्रतिबंधित चैट रूम की संरचनाएं बरामद की गईं। अधिकारियों ने बताया कि डेटा में Operation Sindoor से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं एकत्र करने के निर्देश भी मिले जिससे यह स्पष्ट हुआ कि नाबालिगों को किसी बड़े डिजिटल मॉड्यूल का हिस्सा बनाने का प्रयास किया जा रहा था।
एटीएस ने बताया कि मॉड्यूल की पहचान महीनों लंबी फील्ड रिकॉन्नेसांस का परिणाम है। इस प्रक्रिया में ऑनलाइन गतिविधियों, लिंक्ड सोशल मीडिया अकाउंटों और विदेशी स्थानों से संचालित छद्म पहचान वाले हैंडलरों की गतिविधियों को तकनीकी रूप से ट्रैक किया गया। एटीएस ने पुष्टि की कि विश्लेषण के कई चरणों में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से भी आवश्यक सहयोग लिया गया।
जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि दोनों नाबालिग अन्य किशोरों को अपने समूह में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे और छोटे समूह बनाकर गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे थे। यह भी संकेत मिले कि वे संवेदनशील स्थानों के नक्शे तैयार करने, विशेष अवसरों पर अस्थिरता फैलाने और समूह का विस्तार करने की दिशा में काम कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि सभी डिजिटल साक्ष्यों की आगे तकनीकी जांच की जा रही है और किसी भी संभावित स्थानीय संपर्क या विदेशी कनेक्शन की पड़ताल जारी है।
एटीएस के अनुसार दोनों नाबालिगों को सोमवार को रायपुर और भिलाई से हिरासत में लिया गया और उन्हें लगभग 24 घंटे तक सुरक्षित स्थान पर अभिभावकों की उपस्थिति में पूछताछ की गई। मंगलवार को उन्हें किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान दंडाधिकारी कमिनी वर्मा के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिन्होंने दोनों को माना स्थित किशोर निवास गृह भेजे जाने का आदेश दिया।
एटीएस ने बताया कि जांच अभी जारी है और प्राप्त सभी तथ्य संबंधित प्राधिकरणों को सौंपे जाएंगे। मॉड्यूल से जुड़े डिजिटल विस्तार, विदेशी मार्गों और स्थानीय तत्वों की भूमिका की जांच को और आगे बढ़ाया जा रहा है।
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