-सुभाष श्रीवास्तव
रायपुर (News27)18.02.2024 । एक सहज फिल्मी गीत- नाना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे…अपने समय का मशहूर गानों में से एक है। सदाबहार इस गीत के बोल आज भी होंठ पर बरबस आ जाते हैं। आज इस गीत के चर्चें किसी के गुनगुनाने से नहीं बल्कि इस गीत के राजनीतिक जीवन में फिट बैठने को लेकर किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि राजनीतिक दिग्गजों का एकतरफा प्रेम बरबस इस गाने की याद ताजा करा दे रही है। दरअसल इन दिनों विपक्षी राजनीति पार्टियों का भाजपा के प्रति प्रेम अचानक से उमड़ने सा लगा है। बात बिहार की कर लें, जदयू के प्रमुख नेता नितिश कुमार का भाजपा प्रेम, अपने पूरे मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर पुन: विश्वास मत हासिल कर, भाजपा के प्रति विश्वास जाहिर कर अपने प्रेम को जगजाहिर कर दिया। कांग्रेस से निष्कासित प्रमोद कृष्णन का भाजपा में प्रवेश हो या कहें कमलनाथ का स-पूत्र भाजपा के प्रति आकृष्ठ होना हो। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस नेता और जोगी कार्यकाल में अहम भूमिका में रहे विधान मिश्रा एवं एक अन्य नेता का भाजपा में प्रवेश कर लेना भी इस गीत के बोल को अनकहें चरितार्थ करता है।ऐसे अनेक उदाहरण है। छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार के शपथग्रहण समारोह में बाबा ने शिरकत की थी, हालंकि इस समारोह में पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी शामिल हुए थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंच में ही उनसे हाथ भी मिलाया, परन्तु इस सब में बाबा की उप िस्थती की चर्चा अधिक रहा। भाजपाई कहते रहे कि पीएम मोदी का भरे मंच में टीएस सिंहदेव से हाथ नहीं मिलाने से कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि अपनों से कोई हाथ नहीं मिलाता, उन्हें तो गले लगाया जाता है।
क्या बाबा का प्यार भी भाजपा के प्रति है? :-
छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार कार्यकाल में उप-मुख्यमंत्री रहे, प्रदेश दिग्गज कांग्रेसी नेता टी.एस.सिंहदेव, बाबा को लेकर कयासों के सरगर्मियां उनके भाजपा प्रेम को ही इंगित करता है। जनमानस में भी यही चर्चा है कि बाबा भले ही इंकार पर इंकार करें कि भाजपा में आने का सवाल नहीं बनता, परन्तु उनके दिलों में भाजपा के कार्यप्रणाली पर नाशुख जाहिर करने का कोई कारण नही बनता, बल्कि वे समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सरेआम जनमंच से ही तारीफों के पूल बांधकर यह जता चुके हैं कि प्रवेश के सभी रास्ते अभी खुला है? हाल ही में मध्यप्रदेश के कदृावर नेता कमलनाथ का भाजपा प्रेम पर बाबा ने अस्पष्ट रूप से बड़े संकेत दे दिए हैं कि कमलनाथ का भाजपा प्रेम उनके भाजपा में शामिल हाेने के अटकलों से असर तो पड़ता है, परन्तु वे वरिष्ठ हैं इसलिए कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है! राजनीति के पंडितों ने बाबा के इसी संकेत को पकड़ लिया है कि उनके टिप्पणी ना करने के पीछे का राज आखिर क्या है! उन्हीें राजनीतिज्ञों के अनुसार बाबा कच्ची चाल नहीं चलना चाहते और संभल कर दांव खेलना चाहते हैं? छत्तीसगढ़ कांग्रेस भी बाबा को लेकर संशय की दौर से गुजर रही है, कांग्रेस इस पर बयानबाजी करने से बच रहे हैं, जबकि भाजपा बाबा से गलबहियां के लिए हाथ पसारे नजर आते हैं। देखना है कि बाबा के मन में भाजपा प्रेम की पींगे कब उछाल मारती है, कब राजनीतिक गलियारों के मेघ गरजते हैं और कब बेमौसम ओले बरसते हैं?
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