रायपुर सेंट्रल जेल का डॉन: राजा बैझड़ की बढ़ती क्राइम एंटरप्राइज”

by। मुकेश एस सिंह खोजी पत्रकार

रायपुर सेंट्रल जेल में बंद Mohammad Rashid Ali उर्फ़ Raja Baizad की गतिविधियों ने छत्तीसगढ़ के कानून और व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाई हैं। Barrack No-15 से वायरल हुए उसके वीडियो ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। 2014 से उसके खिलाफ लगातार मामलों की रिपोर्ट है – Arms Act (2014), Murder (2017), NDPS (2025) – फिर भी वह बार-बार जेल प्रशासन और कानून की धज्जियाँ उड़ाते दिखाई देते हैं।

स्रोतों के अनुसार, राजा बैझड़ अपने सेल से लेकर जेल के बाथरूम तक मोबाइल फोन का उपयोग करता है। वह वीडियो बनाता, सेल्फी लेता और अन्य बंदियों के साथ साझा करता है, मानो जेल कोई सुधार गृह नहीं, बल्कि उसका निजी अड्डा हो। मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि बाहरी नेटवर्क से संपर्क और वसूली निर्देश देने के लिए भी किया जाता रहा है। Barrack No-15 दरअसल गैंग का हेडक्वार्टर बन चुका है।

पुलिस और जेल रिकॉर्ड बताते हैं कि उसके खिलाफ बार-बार जमानत मंजूर होना, एक ही पुलिस क्षेत्र में दोहराए जाने वाले अपराध और जेल प्रशासन पर बढ़ता प्रभाव केवल संयोग नहीं, बल्कि सिस्टम की गहरी विफलता है। कानून के लंबे हाथ भी इस मामले में Barrack No-15 की दीवारों के आगे थम जाते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि जेलें यदि अपराधियों के अड्डे बन जाएँ तो सुधार का उद्देश्य विफल हो जाता है। क़ैद के भीतर आज़ादी और सत्ता का यह खेल न केवल न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरे सुधार गृह प्रणाली की विश्वसनीयता को भी चुनौती देता है।

रायपुर सेंट्रल जेल का यह मामला हमें याद दिलाता है कि निगरानी, प्रशासनिक जवाबदेही और सख्त कानून का पालन कितना जरूरी है। जब जेलें अड्डों में बदल जाएँ, तब न्याय सिर्फ़ मज़ाक रह जाता है।

राजा बैझड़ की कहानी केवल एक अपराधी की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और सिस्टमिक कमजोरी की जीवंत तस्वीर है। यदि अब सुधार नहीं हुआ, तो यह केवल एक व्यक्ति की शक्ति का सवाल नहीं, बल्कि पूरे समाज और शासन की असफलता का प्रतीक बनेगा।

कौन है Moh. Rashid Ali उर्फ़ Raja Baizad?
The man whose video from Barrack No-15 shook Chhattisgarh has been under scanner since 2014-his record screams habitual crime, habitual impunity.

From his jail cell to the jail bathroom, he uses his mobile phone at will – clicking selfies, shooting videos, and sharing them with fellow inmates as if Raipur Central Jail were his personal studio, not a prison.
अपने सेल से लेकर जेल के बाथरूम तक, वह मर्ज़ी से मोबाइल चलाता है, वीडियो बनाता है, सेल्फी लेता है, और बंदियों के साथ साझा करता है – मानो रायपुर सेंट्रल जेल सज़ा का नहीं, उसकी सत्ता का अड्डा हो।

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