सब्ज़ी बेचने वाले की बेटी चंचल पैकरा CGPSC 2024 में टॉपर,डिप्टी कलेक्टर 

चंचल पैकरा के साथ माता ,पिता की तस्वीर

सरगुजा । सरगुजा की चंचल पैकरा ने वह कर दिखाया है, जिसे हासिल करने का सपना हजारों युवा देखते हैं। आर्थिक तंगी, सीमित साधन और संघर्षों से भरे माहौल में पली-बढ़ी चंचल ने CGPSC 2024 में अनुसूचित जनजाति वर्ग में टॉप कर पूरे सरगुजा का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। उन्हें ओवरऑल रैंक 204 हासिल हुई है और अब वे डिप्टी कलेक्टर बनेंगी। यह उपलब्धि साबित करती है कि हिम्मत, लगन और शिक्षा के प्रति समर्पण किसी भी कठिनाई को मात दे सकते हैं।

किसान परिवार की बेटी से अफसर बनने तक का सफर

चंचल पैकरा का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता रघुवर पैकरा और मां कुंतिला पैकरा खेती-किसानी करते हैं और साथ ही सरगुजा जिले के कराबेल बाज़ार में सब्ज़ियां बेचते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद सीमित थी, लेकिन चंचल के माता-पिता ने अपनी बेटी की पढ़ाई में कभी समझौता नहीं किया।
चंचल की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए उनके पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा तक बेच दिया। यह बलिदान आज उस परिवार की सबसे बड़ी ताकत और गर्व का कारण बन गया है।

छोटी सी गांव की स्कूल से एकलव्य विद्यालय तक

चंचल ने प्राथमिक शिक्षा कराबेल की शासकीय स्कूल से प्राप्त की। बचपन से ही पढ़ाई में तेज होने के कारण उनका चयन सर्ना स्थित एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल में हुआ।
एकलव्य में उन्होंने लगातार मेहनत की और हर कक्षा में टॉपर रहीं। दसवीं और बारहवीं दोनों में उन्होंने प्रथम श्रेणी से उत्कृष्ट अंक हासिल कर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।

इंजीनियर से CGPSC टॉपर बनने तक

बारहवीं के बाद चंचल ने जगदलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग में BE किया। इंजीनियरिंग जैसे कठिन कोर्स के बावजूद उन्होंने PSC की तैयारी का सपना नहीं छोड़ा।
BE के बाद PSC की तैयारी शुरू की लेकिन पहली बार में प्री परीक्षा में असफल हो गईं।
हार मानने के बजाय वे और दृढ़ संकल्प के साथ बिलासपुर गईं और वहीं रहकर कोचिंग शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई—2024 में न केवल प्रीलिम्स, बल्कि मेन्स भी पहली बार में ही पास किया और इंटरव्यू तक पहुंच गईं।

परिणाम आने के बाद परिवार और गांव में खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब पता चला कि चंचल ने ST वर्ग में पहला स्थान हासिल किया है। गांव वालों से लेकर पूरे जिले तक, हर कोई इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है।

परिवार की नई प्रेरणा बनी चंचल

चंचल की छोटी बहन अभी अंबिकापुर कॉलेज से B.Sc कर रही है, जबकि उनका छोटा भाई गंधरी के एकलव्य विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी है। परिवार अब आशा करता है कि चंचल की सफलता से उनके भाई-बहन भी प्रेरित होकर बेहतर भविष्य बनाने की ओर बढ़ेंगे।

संघर्ष से मिली सफलता

चंचल का कहना है कि आर्थिक कठिनाइयों ने कभी उन्हें कमजोर नहीं किया। बल्कि हर मुश्किल ने उनकी इच्छाशक्ति को और मजबूत बनाया। साधारण परिवार से आने के बावजूद उन्होंने कभी अपने सपनों को छोटा नहीं होने दिया।
उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, मेहनत और लक्ष्य पर फोकस किसी भी व्यक्ति को ऊँचाई तक पहुँचा सकता है।

पूरे सरगुजा के लिए गौरव का क्षण

चंचल की सफलता सिर्फ एक परिवार की जीत नहीं है, बल्कि पूरे सरगुजा संभाग के लिए सम्मान और प्रेरणा का विषय है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चंचल जैसी बेटियों की मेहनत और जीत आने वाली पीढ़ियों को नई दिशा देगी।

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