जशपुर विधानसभा के 2018 चुनाव में 1,69,765 वोट पड़े

कांग्रेस के विनय भगत ने भाजपा के गोविंदराम भगत को 8026 वोटों से हराया


साल 2018 का चुनाव यादगार रहा ,जिसमें छत्तीसगढ़ की राजनीति की कायापलट हो गई । वहीं भाजपा गढ़ कहलाने वाला जशपुर विधानसभा से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस के विनय भगत की शानदार जीत के साथ जशपुर एंटी हुई। दिलीप सिंह जूदेव के गुजर जाने के बाद राजनीति फिजा बदल गई। भाजपा में बगावती तेवर शुरू हो गए।” जशपुर नगर। भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले जशपुर विधानसभा में चुनाव जीतना बीजेपी के लिए चुनौती हैं। एक समय जूदेव के नाम से कोई भी प्रत्यासी जीत जाता था। लेकिन उनके गुजर जाने के बाद भाजपा में बगावत शुरू हो गया। पूर्व चुनाव परिणाम के बाद भाजपा को जीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा हैं। पिछले चुनाव को भुलाकर भाजपा प्रत्याशी जीत की राह तलाश रहें हैं। इस बार भाजपा से जशपुर विधानसभा के लिए रायमुनि भगत को टिकट मिला हैं। कांग्रेस से पूर्व विधायक विनय भगत विधायक टिकट के लिए लाइन में हैं। जिन जगहों पर भाजपा के वोट कम पड़े थे। वहां भाजपा विशेष फोकस कर रहीं हैं। खास तौर पर जशपुर विधानसभा के बगीचा को वोट का केंद्र माना जाता हैं। यहीं से मतदाताओं के हार जीत का फैसला होता हैं। 2018 में जशपुर विधानसभा से कुल 2,21,453 मतदाता थे। जिसमें 1,69,765 कुल 77% मतदान हुआ। नोटा 4317 रहा। निर्दलीय प्रदीप सिंह को 10646 वोट मिले और विनय भगत को 71963 वोट प्राप्त किया। कांग्रेस के विनय भगत ने भाजपा के गोविंदराम भगत को 8026 वोटों से हराया।

निर्दलीय ने भाजपा के जीत का समीकरण बिगाड़ा

जिले के जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव तीनों विधानसभा में जनजाति रिजर्व सीट हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में जशपुर से गोविंद राम भगत को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया था। कांग्रेस से विनय भगत थे। इसके अलावा भाजपा से अलग होकर निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप सिंह खड़े हुए। जिन्होंने भाजपा से टिकट की मांग की थी। पर भाजपा ने उनको मौका नही दिया। जिससे बीजेपी के हजारों कार्यकर्ता दो फाड़ में बट गए। इसका असर बीजेपी के वोट बैंक में पड़ा। बगीचा से 10646 वोट दिवान को मिला। भाजपा से गोविंद राम भगत और निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप सिंह को हार का सामना करना पड़ा। उनको हारकर जशपुर विधानसभा से विनय भगत कांग्रेस के पहले विधायक बनें।

चुनाव लड़ने के लिए 50 एकड़ जमीन बेच दी

पिछले विधानसभा चुनाव में दीवान की दीवानगी इस कदर बढ़ी की,उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन 50 एकड़ बेच दी। और चुनाव में पूरे पैसे खर्च कर दिए। प्रदीप स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के चहेते थे । यदि वह इस दुनिया में रहते तो शायद अगला नंबर विधायक प्रत्याशी के तौर पर दीवान हो सकता था। बगीचा के पाठ क्षेत्र के तरफ रहने वाले हैं। दीवान 2018 में बाल्टी छाप में पार्टी अलग होकर निर्दलीय खड़े हुए थे।कार्यकर्ता ने उन्हें नामांकन दाखिला के दौरान टिकट वापस लेने के लिए कहा पर उन्होंने नामांकन वापस नही लिया। और 2018 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए।

विनय के लिए जीत की राह आसान न थीं

एक समय जशपुर बीजेपी का गढ़ हुआ करता था उस समय लोगों को कांग्रेस से खड़े होने के लिए हिम्मत करना पड़ता था । ऐसे में जशपुर विधानसभा से विनय भगत पूर्व में भी विधायक चुनाव लड़े और हार गए थे। इसके बाद दुबारा वह साल 2018 में हिम्मत कर फिर कांग्रेस से मैदान में उतरे। उसी साल भाजपा और निर्दलीय प्रदीप सिंह की टक्कर हुई। जिसमें दो की लड़ाई में तीसरे कांग्रेस को फायदा मिला। अगर दीवान अपना नामांकन वापस ले लेते तो कांग्रेस प्रत्यासी विनय भगत दुसरीं बार चुनाव हारते। हालांकि चुनाव में निर्दलीय खड़े होना कोई नई बात नही हैं। लेकिन प्रदीप सिंह के 10646 वोट ने बीजेपी का सुपड़ा साफ कर दिया। विनय भगत भाजपा को हार कर जशपुर के पहले कांग्रेस विधायक बने ।

अब तक के जशपुर विधानसभा के विधायक

1राजशरण भगत 2003 में विधायक भाजपा

2जगेश्वर राम भगत 2008 में विधायक भाजपा

3राजशरण भगत 2013 में विधायक भाजपा

4 विनय भगत 2018 में विधायक कांग्रेस

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