गिरोधपुरी में सतनामी समाज का सबसे ऊंचा जैत खाम

By. चैन सिंह गहने।
धमतरी। संत गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को बलौदा बाजार जिले के गिरौदपुरी में सतनामी संप्रदाय में हुआ था। उनकी जन्म और तपोभूमि गिरौदपुरी में देश का सबसे ऊँचा जैत-खम्ब स्थापित है, जो उनके सत्य, अहिंसा और समानता के संदेश का प्रतीक माना जाता है। संत शिरोमणि गुरु घासीदास जयंती दिसंबर महीना में सतनामी समाज गुरु पर्व हर्षउल्लास के साथ मना रहें हैं। सतनामी समाज गुरु पर्व 1 से 31 दिसम्बर तक मनाया जायेगा। यह पर्व बेहद खास हैं समाज गुरु घासीदास के आदर्शों और शिक्षाओं को याद कर रहे हैं। गुरु घासीदास सतनामी समाज के इष्ट देव हैं। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेरित करता है बल्कि समाज के हर वर्ग में समानता, भाईचारा और न्याय की भावना को भी मजबूत बनाता है। इस अवसर पर सतनामी समाज, ब्लॉक नगरी के अध्यक्ष विष्णु कुमार टंडन ने गुरु पर्व पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकानाये दी हैं। उन्होंने बताया संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा की जयंती को गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। बाबा गुरु दास सतनामी समाज के गौरव हैं ।
उनका संदेश है कि बाबा जी की शिक्षाओं का पालन करते हुए हम समाज में उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ और अपने जीवन में नैतिकता, धर्म और सेवा की भावना को अपनाएँ। उन्होंने कहा गुरु घासीदास के बताए मार्ग पर चलकर हम अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति में योगदान दें।
इस गुरु पर्व के अवसर पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए हम गुरु घासीदास की शिक्षाओं को जीवन में उतारेंगे—सत्य बोलना, दूसरों की मदद करना, समाज में समानता और न्याय स्थापित करना।
नैतिक और सामाजिक दिशा
योगेश भट्ट सतनामी समाज उपाध्यक्ष ने बताया यह पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि हमारे जीवन की नैतिक और सामाजिक दिशा को दर्शाने वाला एक महत्त्वपूर्ण अवसर है।गुरु घासीदास ने अपने जीवन में जो आदर्श स्थापित किए, वे हमें यह सिखाते हैं कि शिक्षा, धर्म और सेवा से ही समाज में स्थायी परिवर्तन लाया जा सकता है। उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सत्य और न्याय के मार्ग पर स्थिर रहना चाहिए। उन्होंने बताया इस अवसर पर समाज के सभी सदस्यों का यह कर्तव्य बनता है कि वे गुरु घासीदास के आदर्शों को अपने दैनिक जीवन में अपनाएँ, और नए पीढ़ी को उनके शिक्षाओं की रोशनी में मार्गदर्शन दें।अंततः, गुरु पर्व हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा गुरु केवल ज्ञान और शिक्षा ही नहीं देता, बल्कि जीवन के हर संघर्ष में सही मार्ग दिखाने वाला प्रकाश स्तंभ भी होता है। संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा के इस गुरु पर्व पर सभी समाज के सदस्यों को ढेरों शुभकामनाएँ। आइए, हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें और समाज को एक उज्जवल, नैतिक और समान भविष्य की ओर अग्रसर करें।

