रायपुर/नागपुर/भोपाल। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की महाराष्ट्र–मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ (MMC) स्पेशल जोनल कमिटी ने 22 नवंबर 2025 को एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर तीनों राज्यों की सरकारों से 15 फरवरी 2026 तक ‘विचार–विमर्श का समय’ देने की मांग की है। कमिटी ने दावा किया है कि केंद्रीय नेतृत्व के कुछ वरिष्ठ सदस्यों द्वारा सशस्त्र संघर्ष को विराम देने और हथियार छोड़ने के संकेत देने के बाद वे भी सामूहिक रूप से इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं।
हालांकि, कमिटी ने इसके लिए सरकारों से सुरक्षा बलों के अभियान अस्थायी रूप से रोकने, मुखबिरी आधारित कार्रवाई न करने और PLGA सप्ताह के दौरान भी ऑपरेशनों से परहेज़ करने की अपील की है। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों द्वारा संयम बरतने से ही “विश्वास निर्माण का वातावरण” बन सकेगा।
केंद्रीय कमेटी के नेताओं का हवाला
कमिटी के प्रवक्ता ‘अनंत’ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि:
CCM सतीश दादा के बाद
CCM और पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू दादा,
तथा हाल ही में CCM चंद्रन्ना
ने सशस्त्र संघर्ष को ‘अस्थायी विराम’ देने के समर्थन की बात कही है।
MMC जोन ने दावा किया है कि वह भी इस दिशा में एक सामूहिक निर्णय लेना चाहता है, लेकिन इसके लिए आंतरिक प्रक्रिया और साथियों से संवाद के लिए समय चाहिए।
“संचार के साधन सीमित, इसलिए समय आवश्यक”
प्रवक्ता ने कहा कि माओवादी संगठन में निर्णय सामूहिक सहमति से होते हैं। जंगल क्षेत्रों में रहने वाले सभी सदस्यों तक संदेश पहुँचाने में समय लगता है, क्योंकि संगठन के पास “तत्काल संचार के उन्नत साधन उपलब्ध नहीं हैं।”
इसलिए उन्होंने तीनों राज्यों की सरकारों से 15 फरवरी 2026 तक का समय मांगा है।
कमिटी का दावा है कि यह समयसीमा सरकार द्वारा माओवाद समाप्त करने के लिए तय की गई 31 मार्च 2026 की डेडलाइन के भीतर ही है।
सुरक्षा अभियानों पर रोक की अपील
बयान में तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों —
देवेंद्र फडणवीस (महाराष्ट्र),विष्णुदेव साय/विजय शर्मा (छत्तीसगढ़),मोहन यादव (मध्यप्रदेश) से आग्रह किया गया है कि वे इस अवधि में बलों की गतिविधियों पर रोक लगाएँ।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि यदि सुरक्षा बल अभियान नहीं चलाते और संगठन भी अपनी गतिविधियों को रोकता है, तो “शांतिपूर्ण संवाद और सामूहिक निर्णय” का रास्ता साफ हो सकता है।
PLGA सप्ताह नहीं मनाने का दावा
कमिटी ने कहा कि वे इस बार PLGA सप्ताह नहीं मनाएँगे और इस अवधि में सभी गतिविधियों को विराम देंगे।
उन्होंने अपनी इकाइयों से भी अपील की है कि बयान उन तक पहुँचने के बाद वे तुरंत गतिविधियाँ रोक दें।
रेडियो पर संदेश प्रसारित करने की मांग
माओवादी कमिटी ने तीनों राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि उनका यह बयान कुछ दिनों तक रेडियो प्रसारण में शामिल किया जाए।
उनका दावा है कि जंगल क्षेत्रों में रहने वाले उनके सदस्यों तक संदेश पहुँचाने का यह ही ‘एकमात्र विश्वसनीय साधन’ है।
जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों से मुलाकात की इच्छा
बयान में कहा गया है कि संगठन चाहता है कि सरकार उन्हें कुछ जनप्रतिनिधियों, पत्रकारों, और यूट्यूब आधारित पत्रकारों से मिलने की अनुमति दे।
कमिटी का कहना है कि यह मुलाकातें उनके सामूहिक निर्णय को अंतिम रूप देने में मदद करेंगी और वे जल्द ही “हथियार त्यागने की निश्चित तारीख” की घोषणा कर सकेंगे।
कमिटी ने पहले से आत्मसमर्पण कर चुके सोनू दादा और सतीश दादा से भी अपील की है कि वे सरकारों से इस समयसीमा को स्वीकार करने का आग्रह करें।
सरकारी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
विज्ञप्ति में कहा गया है कि संगठन सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करेगा और चाहेंगे कि इसे भी “रेडियो पर प्रसारित किया जाए”, ताकि संदेश जल्दी पहुँच सके।
कमिटी ने संकेत दिया कि यह प्रक्रिया आगे बढ़ने पर वे एक और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने की संभावित तारीख की घोषणा करेंगे।

