रौतिया समाज ने जनजाति रीति रिवाज के साथ करम राजा की पुजा अर्चना

परम्परागत लोकगीतों व मांदर की थाप में झूमें रातभर

जशपुर नगर.प्रदेश रौतिया समाज के निर्देश व जिला रौतिया मंडल जशपुर नगर के नेतृत्व में शनिवार रात्रि कों जिला मुख्ययालय के बिजली टोली स्थित शहीद बख्तर साय व वीर नारायण साय रौतिया भवन में जनजाति रीति रिवाज़, संस्कारों से करमा त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शनिवार कों शाम ढलते ही समाज के लोग मांदर और करम डाल लेकर बड़ी संख्या में पुजन में शामिल हुए.और उन्होंने एक दुसरे कों करमा त्यौहार की बधाई एवं शुभकामनायें दिया.पुजा के बाद रात भर परम्परागत लोकगीत गाकर मांदर की थाप व झंकारों की धुन में झूमकर नृत्य करते रहे.सुबह करम राजा की पुजा अर्चना कर जल प्रवाहित किया गया. चंद्रमोहन सिंह ने बताया रौतिया समाज प्रकृति से विशेष तौर से जुड़ा हैं. वह प्रकृति कों देवता मानकर उसकी उपासना करते हैं. यह परम्परा आदिकाल से चले आ रहा हैं.जिसका निर्वाहन आज भी रौतिया समाज कर रहा हैं.हमारे पूर्वज पथ प्रदर्शक रहें हैं जिन्होंने समाज कों रस्मो, संस्कारों से जोड़ा हैं . रौतिया समाज प्रदेश भर में कर्मा उत्सव मना रहें हैं. उन्होंने बताया रौतिया समाज जनजाति समाज में पुर्व से थे जिसका प्रमाण मौजुद हैं. लेकिन पूर्वजों की गलतियों की वजह से रौतिया समाज कई वर्षो से अपने
अधिकारों से वंचित रहा,जिसके कारण समाज काफी पिछड़ गया हैं . रौतिया समाज ने अपने अधिकारों के लिए काफी संघर्ष किया हैं. अब जल्द रौतिया समाज जनजाति में शामिल होने जा रहा है. हमारे पदाधिकारीयों ने शासन कों जनजाति होने का प्रमाण प्रस्तुति किया हैं. जिसे छत्तीसगढ़ शासन ने सहमति प्रदान कर फाइल केंद्र सरकार को भेजा दिया हैं अब सिर्फ समाज सरकार के आदेशों का इंतजार कर रहीं हैं.

व्रतियों ने बाधा रक्षा सुत्र

जनजाति समाज के संस्कार व परम्परा कों जीवित कर ससम्मान करम डाल कों जमीन में गाड़ा गया. व्रतिन महिलाओं और समाज के अन्य लोग पुजन के लिए स्थान ग्रहण किए . उन्होंने करम राजा के जयकारें व रौतिया एकता जिंदाबाद के नारे के साथ पुजन प्रारंभ हुआ. बैगा बलराम राम द्वारा विधिवत पुजा अर्चना कराया गया.व्रतिन महिलाओं ने करम डाल पर पुष्प, नारियल, दुध अर्पित कर रक्षा सूत्र बधाकर प्रणाम किया. और क्षेत्रवासियों व प्रदेश की खुशहाली उन्नति के लिए प्रार्थना किया. पुजन समाप्ति के बाद उन्होंने बड़ो का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया. वहीं प्रसाद तौर पर खिचड़ी वितरण किया गया.

करमा धर्मा की सुनी कहानी

बैगा द्वारा करमा कहानी सुनाई गईं जिसे समाज के लोगों ने रोचकता व उत्साह के साथ सुना.कहानी वाचक बलराम राम ने बताया
कर्मा धर्मा दो सगे भाई थे जों बाहर काम करने के लिए गए थे वो घर वापसी दौरान थक गए और पेड़ की छाया के नीचे दोनों भाई बैठ गए.कर्मा ने धर्मा से कहा जाओ हमारे आने का समाचार परिवार में जाकर दे दो. बड़े भाई कर्मा की बात मानकर धर्मा जब घर पहुंचा तों उसने घर में देखा परिवार वाले करमा त्यौहार की पुजा करने कर रहें थे. गुस्से में आकर धर्मा ने करम डाल कों डंडे से मारा कर करमा का अपमान किया.धर्मा श्रापित हो गया. वह शारीरिक रूप से बीमार और कमजोर पड़ गया. उसने खाना पीना त्याग दिया . उसे अपनी गलती का अहसास हो गया. धर्मा ने करम देव का उपवास रखकर करम देव की विधिवत क्षमा याचना कर उसका पुजा अर्चना किया इसके बाद वह श्राप से मुक्त हो गया.

यह रहें शामिल

इस कार्यक्रम के आयोजन में सर्वेश सिंह, दीपक सिंह, रवि सिंह रिशु सिंह, संदीप सिंह, देवधन सिंह( रिद्धि सिंह), विनीत सिंह, केसरी नंदन सिंह, संजय सिंह, लोकेश सिंह सचिन सिंह,पुना सिंह, जितेंद्र सिंह का विशेष सहयोग रहा.
इस कार्यक्रम में सचिव अमित सिंह, कोषाध्यक्ष सूरज राम, कार्यकारिणी अध्यक्ष बलराम राम, विजय सिंह ,राजकिशोर सिंह, रतनु राम, प्रांतीय कार्यकारिणी चंद्रमोहन सिंह, गम्हरिया मंडल अध्यक्ष शिवनाथ राम, राजकिशोर सिंह खड़ग, राजकुमार सिंह, खिरोधर सिंह समेत समाज के सैकड़ो लोग मौजुद रहें.

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