शिक्षक ने नर्सरी के मासूम को पेड़ से लटकाया

सूरजपुर। ज़िले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। नारायणपुर ब्लॉक के हांसवानी विद्या मंदिर में नर्सरी कक्षा में पढ़ने वाले एक मासूम बच्चे को शिक्षिकाओं ने सिर्फ इसलिए पेड़ से रस्सी के सहारे लटकाकर घंटों खड़ा रखा, क्योंकि उसने अपना होमवर्क पूरा नहीं किया था। घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया और ग्रामीण बड़ी संख्या में स्कूल पहुँच गए।

मासूम पेट के सहारे पेड़ से लटका मिला

मामले की शुरुआत तब हुई जब किसी ग्रामीण ने बच्चे को पेड़ से बांधकर लटकाए रखने का वीडियो अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि बच्चा पेट के बल रस्सी पर टिकाकर हवा में लटकाया गया है और आसपास खड़े लोगों में से कोई भी उसे छुड़ाने की कोशिश नहीं कर रहा। मासूम लगातार बैचेन दिख रहा है, लेकिन शिक्षिकाएँ चुपचाप देखती रहीं।

वीडियो के सामने आते ही लोग भड़क गए और देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया। ग्रामीणों की भीड़ स्कूल पहुँच गई और प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

परिजनों का आरोप

“सिर्फ होमवर्क नहीं किया था, इसलिए पेड़ से लटका दिया”

पीड़ित बच्चे के परिजनों ने बताया कि वे घटनास्थल पर पहुंचने के बाद ये देखकर अवाक रह गए कि इतने छोटे बच्चे को इस तरह अमानवीय तरीके से दंड दिया गया। परिजन संतोष कुमार साहू ने कहा कि—मेरा बच्चा नर्सरी में पढ़ता है। उसने सिर्फ होमवर्क नहीं किया था। इसके लिए उसे पेड़ से बांधकर घंटों लटकाए रखा गया। यह सजा नहीं—क्रूरता है।”

परिजनों ने इसे तालिबानी सजा करार देते हुए स्कूल संचालक और संबंधित शिक्षिकाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

स्कूल संचालक सुभाष शिवहरे से जवाब मांगा, तो उन्होंने चौंकाने वाला बयान दिया।
उनका कहना था कि—बच्चा पढ़ता नहीं था… उसे डराने के लिए पेड़ से बांधा गया था। इसमें कुछ गलत नहीं किया।”

संचालक के इस बयान ने ग्रामीणों और परिजनों का गुस्सा और भड़का दिया। लोगों ने कहा कि यदि एक नर्सरी के बच्चे को पढ़ाने का तरीका ऐसा है, तो ऐसे स्कूल चलाने का अधिकार ही नहीं है।

BEO ने मौके पर जाकर की जांच

वीडियो वायरल होने के बाद मामला शिक्षा विभाग तक पहुँच गया। विकासखंड शिक्षा अधिकारी डी.एस.लकड़ा तत्काल स्कूल पहुँचे और पूरे प्रकरण की जांच की। लकड़ा ने कहा—घटना गंभीर है। वीडियो के आधार पर और मौके की स्थिति देखकर जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है। पूरी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी जाएगी। दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी।”

जिला शिक्षा अधिकारी बोले — “बच्चे की सुरक्षा सबसे पहले, कार्रवाई निश्चित”जिला शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा ने भी घटना को निंदनीय बताते हुए सख्त रुख अपनाया है।
उनका बयान बच्चे की सुरक्षा सर्वोच्च है। इस तरह की सजा किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं। पूरे मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और दोषियों पर विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है।”

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसे निजी स्कूलों को मान्यता कैसे दी जाती है, जिनके पास न तो बुनियादी सुविधाएँ होती हैं और न ही प्रशिक्षित स्टाफ।
ग्रामवासियों का आरोप है कि कई निजी स्कूल बिना मानक पूरे किए ही चल रहे हैं और बच्चों पर दबाव डालने तथा सजा देने का गलत तरीका अपनाते हैं।मासूम बच्चे को पेड़ से लटकाने जैसा अमानवीय कृत्य न सिर्फ कानूनन गलत है, बल्कि नैतिक रूप से भी बेहद क्रूर है।

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