‘‘लरका विद्रोह’’ के सूत्रपात महान क्रांतिकारी और संगठनकर्ता थे बुधु भगत: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर (News27)03.03.2024 । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज शनिवार को जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड के ग्राम डाड़टोली में शहीद वीर बुधु भगत जयंती समारोह एवं उरांव समाज के वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने समाज के महापुरूषों के अतुलनीय योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उरांव समाज का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। इस समाज ने अनेक महापुरूष दिए हैं जिनका मार्गदर्शन सभी लोगों को मिलता रहा है। महान क्रांतिकारी वीर बुधु भगत जिन्होंने ने आजादी के लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाईऔर अपने साहस नेतृत्व क्षमता से 1832 ई. में ‘‘लरका विद्रोह’’ नामक ऐतिहासिक आंदोलन का सूत्रपात्र भी किया। अविभाजित बिहार के रांची जिले में स्थित शिलागाईं गांव में 17 फरवरी 1792 को जन्मे बुधु भगत जनजातीय समाज के विकास के लिए भी काम किया। बुधु भगत ने अंग्रेजों खिलाफ लउ़ाई लड़ने लोगों को एकजूट किया और उन्हें अपने साथ शामिल कर गुरिल्ला युद्ध किया। उन्हें संगठन क्षमता पर विश्वास था इसलिए उन्होंन लोगों को जोड़ने के लिए ऐसी हुंकार भरी की वे सर्वसमाज के लिए नेता बनकर उभरे। जनजातीयों के लिए वे देवता का अवतार बन चुके थे। उन्होंने सिल्ली, चोरेया, पिठौरिया, लोहरदगा और पलामू में लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ संगठित करने का कार्य किया। बुधु भगत ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था।

14 फरवरी 1832 के दिन अंग्रेजों की सेना ने बुधु भगत और उनके साथियों को सिलगाई गांव में घेर लिया। अंग्रेजों के पास अत्याधुनिक बंदूकें थीं, जबकि बुधु भगत और उनके साथियों के पास तीर कमान और तलवार जैसे हथियार थे। अंग्रेजों की चेतावनी के बाद भी उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया और अपने अनुयायियों के साथ अंग्रेजों से युद्ध करते हुए बलिदान हो गए। इस युद्ध में उनके भाई, भतीजे और दोनों बेटे उदय और करण व बुधु भगत की दोनों बेटियां रुनिया और झुनिया भी वीरगति को प्राप्त हुई।

गौरतलब है कि उरांव समाज के प्रमुख महापुरुषों में उरांव योद्धा वीरांगनी माता कईली दाई, पदमश्री कवि हलधर नाग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सिध्धु कान्हू, उरांव योद्धा वीरांगना सिनगी दाई, स्वतंत्रता सेनानी पुरखा पंचबल जतरा टाना भगत, महापुरुष साहेब बाबा कार्तिक उरांव एवं महान वीर बुधु भगत शामिल हैं।

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