आरटीओ के आंखों धूल झौंककर फर्जीवाड़ा कर बस परिवहन कर रहें निजी कंपनियां


राजधानी में परिवहन विभाग की कार्यवाहियों ना कर पाने की विवशता

रायपुर (News27) 12.04.2024 । बीते मंगलवार को रात्रि दुर्ग जिले के कुम्हारी टोल के पास एक केडिया डिस्टिलरी स्टाफ बस दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसमें 13 लोगों की मौत और करीब आधा दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसें के बाद शासन-प्रशासन की गंभीरता दुर्घटनाओं को रोकने आवश्यक है, ताकि ऐसे कंपनियों पर कार्यवाही की जा सकें, क्योंकि छत्तीसगढ़ में एक तरफ जहां कल एक बड़े हादसे में दस्तक दी तो वहीं दूसरी तरफ खुलेआम शहर में परिवहन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर प्लांट में स्कूल बसों को चलाया जा रहा है। स्टाफ को लाने ले जाने के लिए स्कूल बस का प्रयोग किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इसकी लाइफ भी खत्म हो चुकी है मगर तब भी बसों का उपयोग किया जा रहा है जो कि सीधा.सीधा यात्रियों की जान से खिलवाड़ है। दुर्ग और रायपुर जिले में कई कंपनियों के स्टाफ अपनी जान जोखिम में रखकर कंपनी द्वारा दिलाई जाने वाली बसों में आने जाने वाली सुविधा का उपयोग कर रहें है। जिसका माप दंड सही है या नही उसकी जांच प्रशासन शायद पूरी तरह नहीं कर पा रही है। ये कंपनी अपने स्टाफ को लाने ले जाने के लिए दस से पंद्रह साल पुरानी स्कूल बस और अन्य बसों का उपयोग कर रही हैए जो सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है। जिसकी किसी भी प्रकार से कोई भी जांच प्रशासन नही कर रही है। कंपनी में चलने वाले बसों को शासन द्वारा स्टाफ परमिट ईशु किया जाता है जो की प्राइवेट सर्विस व्हीकल के नाम से रजिस्टर्ड होता है जिसका तिमाही टैक्स 450 से 600 तक प्रति सीट हर तिमाही में पटाया जाता है। जिसको बचाने के लिए नीको इंडस्ट्रीज और रिलायंस ट्रेवल्स द्वारा शासन की टैक्स चोरी करते हुए अपने स्टाफ की जान को जोखिम में डालते हुए ऐसे स्कूल बसों में जो की 15 साल पुरानी है जो की परिवहन विभाग द्वारा कंडम मानी जाती है ऐसे बसों से नीको कंपनी अपने कर्मचारियों को लाना ले जाना करती हैं। बीते दिनों हुई गंभीर दुर्घटना के बाद शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि ऐसे कंपनियों पर कार्यवाही का नकेल कसे और ऐसे हादसों को रोकने नियमों के पालन का अनुशासन बनाये रखे।

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परिवाहन नियमों का पालन नहीं, प्रशासन सुस्त, रसूखदारों के बस संचालन पर कार्यवाही ना कर पाने की विभागीय विवशता

रायपुर (News27) 12.04.2024 । हादसे हमेशा लापरवाहियों का नतीजा होता है। किसी भी बस के परिचालन में परिवहन विभाग के नियमों का पालन अनिवार्य हैं, परन्तु रायपुर राजधानी में चलने वाली अधिकतर गाड़ियों के संचालक रसूखदारों के होने की वजह से परिवहन विभाग द्वारा कार्रवाई ना कर पाने की बेबसी समझ में आता है। जिसके अभाव में ही बीते मंगलवार रात्रि को दुर्ग जिले के कुम्हारी टोल के पास एक केडिया डिस्टिलरी स्टाफ बस का बहुत दुखद घटना घटित हुई । दरअसल बस परिचालन करने वाली कंपनियां फर्जीवाड़ा करके भी शासन-प्रशासन के आंखों में धूल झौंक रहे है। जैसे जायसवाल निकोए निर्वाणा स्टील लिमिटेडए मोनेट की स्टाफ बस आज भी परिवहन विभाग की आंखों में धुल झोंकने में कामयाब रही। फर्जीवाड़ा करके सीआईएसएफ लिखी बस में स्टाफ को बिठाकर परिवहन किया गया है।
चौंकाने वाली बात यह कि जायसवाल निको में कालातीत और आरटीओ टैक्स घोटाला करने वाली स्टाफ बसों की खबरें प्रकाशित होने के बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने कार्रवाई की औपचारिकता दिखाते हुए राजनांदगांव और बिलासपुर में ही चेकिंग किये और रायपुर के उद्योग समूहों को एक तरह से क्लीन चिट दे दिया गया, जिसके चलते कुम्हारी दुर्घटना के रूप में विभागीय कार्रवाई की औपचारिकता सामने आ गईए इसके बाद भी गाड़िया बदस्तुर रायपुर स्टाॅफ को बेधड़क लाया ले जाया जा रहा है। सरकार के आंखों में धूल झौंकते हुए जायसवाल निको इंडस्ट्रीस ने स्टाफ बस घोटाले की खबर के खुलासे के बाद भी फर्जीवाड़ा करते हुए स्कूल बसों और यात्री बस को हटाकर सीआईएसएफ लिखी बसें सीआईएसएफ लिखी हुई बसों का नंबर- सीजी07सीएल0167, सीजी07सीएल0168, सीजी07सीएल0166 है, जिस पर स्टाफ को सफर करवाया गया। ताकि सीआईएसएफ के नाम पर बस को चेकिंग से बचाया जा सकें, ये एक प्रकार की 420 कृत है। वहीं रिलायंस ट्रेवल्स वाला दो बस ऐसी चला रहा है जो दुर्ग से रायपुर परमिट की बस है। जिसमे सुमीत लिखा हुआ है। ये बस दुर्ग से रायपुर सवारी लाने ले जाने का परमिट है ना कि निको फैक्ट्री के स्टाफ को दुर्ग से सिलतरा तक लाने का है।
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