बस्तर पाति और हल्बी हिन्दी की गुडदुम का हुआ विमोचन

-नवीन श्रीवास्तव

बस्तर के गांधी पदमश्री धर्मपाल सैनी , डाॅ कौशलेन्द्र मिश्र, डाॅ सुषमा झा , नरेन्द्र पाढ़ी जी के करकमलों से संपन्न हुआ विमोचन
बस्तरपाति के संपादक सनत जैन ने किया कार्यक्रम का सफल संचालन

जगदलपुर/रायपुर (News27)19.02.2024 । साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर के तत्वाधान में 17 फरवरी का दिन यादगार हो गया जब साहित्यिक पत्रिकाएं बस्तर पाति और हल्बी हिन्दी की गुडदुम का बस्तर के गांधी पदमश्री धर्मपाल सैनी जी, डाॅ कौशलेन्द्र मिश्र, डाॅ सुषमा झा एवं नरेन्द्र पाढ़ी जी के करकमलों से विमोचन हुआ। इस कठिन समय में जब किसी के पास समय नहीं है, किसी साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन ही आश्चर्य की बात है।
वसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध और वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ कौशलेंन्द्र मिश्र जी का विदाई समारोह आयोजित किया गया। विदित हो कि राष्ट्रवाद से ओतप्रोत चिंतन के धनी डाॅ साहब बस्तर से अपने मूल स्थान उतराखंड जा रहे हैं। उन्होंने अपने विदाई के अवसर पर बताया कि साहित्य मात्र प्रेम रस में डूबे रहने की विधा नहीं है बल्कि अपने आस पास होने वाले परिवर्तनों और भविष्य में आ सकने वाले संकटों का शब्दचित्रण है। एक लेखक को काल्पनिक लेखन से बच कर वास्तविक लेखन करना चाहिये ताकि समाज अपने परिवेश, स्थान और देश के प्रति सजग बना रहे।
डाॅ साहब के बारे कहते हुये क्षेत्र की वरिष्ठ कवयित्री डाॅ सुषमा झा ने बताया कि डाॅ साहब अपने वक्तव्य में हमेशा अपने विषय पर ही केन्द्रित रहते हैं यह उनके साहित्य की ताकत है।
बस्तर पाति के संपादक सनत जैन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुये बताया कि इस बार का बस्तर पाति का अंक डाॅ कौशलेन्द्र मिश्र जी के साहित्यिक अवदान पर केन्द्रित है। जिसमें उनका इंटरव्यू, कविताएं, जीवन परिचय और आलेख हैं।
हल्बी हिन्दी की पत्रिका गुड़दुम के लिये बताया कि यह अंक बस्तर की हल्बी भाषा के साहित्य में विशेष योगदान देगा क्योंकि इसमें हल्बी में लिखी गयी कहानी और लघुकथाएं हैं जो नवीन लेखकों के लिये मार्गदर्शन का कार्य करेंगी। हल्बी भाषा हिन्दी की सभी लेख्न विधाओं को अपना कर समृद्ध करेगी और कविताओं अलावा सबकुछ लिखने को प्रेरित करेगी।
इस अवसर पर ताऊजी ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। शिरीष कुमार टिकरिहा जी ने अपनी सारगर्भित कविता में वसंत के लिये कहा कि भारत की इस देवभूमि में वसंत ने बड़ा उपकार किया। सतरूपा मिश्रा ने नारी की शालीनता को स्थापित करते हुये कहा कि शालीनता है तो है औरत का गहना/ जिसे पहन वो लक्ष्मी लाडली बन जाती है।
गीता शुक्ला घड़ी के माध्यम से सभी को हमेशा सजग रहने का संदेश दिया-न रूकती है न थकती है / बस चलती ही जाती है। अंजली मिश्रा ने राम जी पर सस्वर भजन प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। बहुभाषी संस्कृत के विद्वान कवि अनिल शुक्ला ने बस्तर पाति पर केन्द्रित कविता पढ़ते हुये बढ़िया रंग जमाया। सतत रचानारत बस्तर के युवा गजलकार कृष्ण शरण पटेल ने अपनी हजारों गजलों में से एक गजल सुनाई-ये बेहिसाब यूं न मुसाफिर सवाल रख / मन से जरा निकाल शरम और मिसाल रख।
युवा समाजसेवी मनीष मूलचंदानी ने अपनी छोटी रचना इश्क पर सुनाई। साहित्य एवं कला समाज के उपाध्यक्ष नरेन्द्र पाढ़ी ने हल्बी और भतरी कविताओं का पाठ किया। मजदूरों के पक्ष में कविता पढ़ते हुये उन्हेांने कहा कि मय भुतियार आंय /मसागत करून खायेंसे। युवा कवयित्री ममता मधु ने वसंत पर सारगर्भित कविता का पाठ किया जिसमें बताया कि वसंत शहर से दूर गांवों में ही रहना पसंद करता है क्योंकि वहां हरियाली है। कार्यक्रम में वरिष्ठ कलाकार बी एल विश्वकर्मा, वसंत चव्हाण उपस्थित थे।

——————————–

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top